छत्तिसगढवासियों में अपनी माटी के प्रति असीम प्रेम और अगाध श्रद्धा है । महापुरूषों की जन्मभूमि, कर्मभूमि के साथ इस भूमि में विभूतियों की प्रेरणा का संस्कार परिलक्षित होता है । समय के साथ छत्तिसगढवासियों ने राज्य और देश की सीमा से आगे बढ कर विदेशों में भी अपनी प्रतिभा, लगन एवं मेहनत के बल पर महत्तवपूर्ण उपस्थिति दर्ज कराई और अपनी पहचान कायम रखते हुए ऐसी जगह भी बना ली, जिस पर राज्य को गर्व है । उस "वसुधैव कुटुम्बकम्" की भावना का परिचय छत्तिसगढ की अस्मिता में भी घुला-मिला है ।
छत्तिसगढवासी, अप्रवासी भारतीयों ने अपने कार्य कौशल, परिश्रम के साथ देश के बाहर सामाजिक कल्याण, मानव संसाधन विकास, कला, साहित्य अथवा आर्थिक क्षेत्र में स्वयं को स्थापित करते हुए उल्लेखनिय कार्य किया है तथा छत्तिसगढ राज्य को भी देश के बाहर प्रतिष्ठामंङित करने के लिए छत्तिसगढ शासन ने छत्तिसगढ अप्रवासी भारतीय सम्मान स्थापित किया है ।