महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव सम्मान

महाराजा रामानुज प्रताप सिंहदेव का जन्म वर्ष 1901 में हुआ था । आपके पिता का नाम शिवमंगल सिंहदेव एवं माता का नाम रानी नेपाल कुंवर था । वर्ष 1660 के आस-पास आपका परिवार मैनपुरी से कोरिया स्टेट में स्थापित हुआ । वर्ष 1920 में छोटा नागपुर की राजकुमारी दुर्गादेवी के साथ आप वैवाहिक सूत्र में बंधे । आप बाल्यकाल से ही प्रतिभावान एवं देश-प्रेमी के रुप में विख्यात रहे । आपकी प्राथमिक शिक्षा राजकुमार कॉलेज, रायपुर में तथा स्नातक की उपाधि वर्ष 1924 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हुई जहां पं. मोतीलाल नेहरु तथा पं. जवाहरलाल नेहरु के सम्पर्क में आये तथा इन विभूतियों के सानिध्य में ही आपको देश-भक्ति की प्रेरणा प्राप्त हुई ।

आपने 1931 में लंदन में आयोजित गोलमेज सम्मेलन में महात्मा गांधी के साध सदस्य के रुप में भाग लिया । देश में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों के दोहन एवं कारखाना क्षेत्र के श्रमिकों के प्रति संवेदनशील रहने के कारण तत्कालीन कोरिया स्टेट में आपके अथक प्रयासों से वर्ष 1928 में कोयला खदान खरसिया एवं चिरमिरी में प्रारंभ किया गया । वर्ष 1941 में कोरिया स्टेट में संचालित शिक्षण संस्थानों में कक्षा आठवीं तक के बच्चों को मध्यान्ह अल्पाहार में गुड़ - चना देना प्रारंभ किया गया । वर्ष 1946 में पंचायती राज कोरिया स्टेट में प्रथम बार लागू किया गया । शिक्षा के क्षेत्र में यहां संचालित शेक्षणिक केन्द्रों में से 64 केन्द्रों में प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम लागू किया गया, आप प्रत्येक शिक्षण केन्द्र का वर्ष में दो बार निरीक्षण स्वयं करते थे । इसी वर्ष कोरिया स्टेट के शहरी क्षेत्रों में कक्षा 5वीं तक अनिवार्य शिक्षा लागू की गई ।

श्रमिकों के प्रति अति संवेदनशील होने के कारण वर्ष 1947 में कोरिया स्टेट द्वारा न्यूनतम मजदूरी अधिनियम (कोरिया अवार्ड) पारित किया गया । आपके द्वारा सेन्ट्रल प्राविंस एवं बरार राज्य संविलयन के दौरान वर्ष 1948 में कोरिया स्टेट खजाने की रुपये 1.20 करोड़ की राशि जमा कराई गई । आपका देहावसान 6 अगस्त 1954 को हुआ । छत्तीसगढ़ शासन ने उनकी स्मृति में श्रम एवं उत्पादकता वृद्धि के क्षेत्र में अभिनव प्रयत्नों के लिये महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव सम्मान स्थापित किया है ।