डॉ. खूबचंद बघेल का सम्पूर्ण जीवन समाज और कृषकों के कल्याण तथा विभिन्न रचनात्मक कार्यो के लिए समर्पित था । आपका जन्म रायपुर जिले के पथरी ग्राम में 19 जुलाई 1900 को हुआ था । पिता का नाम जुड़ावन प्रसाद तथा माता का नाम केकती बाई था । आपकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में तथा हाईस्कूल की पढ़ाई रायपुर में हुई । 1925 में नागपुर से चिकित्सा परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात् असिस्टेंट मेडिकल आफिसर के रुप में कार्यरत रहे ।
नागपुर में अध्ययन के समय से आप राष्ट्रीय विचारधारा से प्रभावित होकर राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय भागीदारी करने लगे । महात्मा गांधी से प्रभावित होकर गांव-गांव में घूमकर असहयोग आंदोलन का प्रचार किया । 1930 में नमक सत्याग्रह के दौरान शासकीय नौकरी छोड़कर आन्दोलन में शामिल हो गए । 1940 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में तीसरी बार जेल गए । 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में आपको फिर ढाई वर्ष की कठोर कैद हुई । 1951 में कांग्रेस मतभेद की वजह से आचार्य कृपलानी की किसान मजदूर पार्टी में शामिल हो गए ।
आप 1951 में विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए और 1962 तक सदस्य रहे । 1967 में आप राज्यसभा के लिए चुने गए । व्यवसाय से चिकित्सक होने के बावजूद आप कृषि और कृषकों की उन्नति के लिए निरंतर प्रयासरत रहे । आप छत्तीसगढ़ के अनेक आदिवासी-किसान आंदोलनों के प्रेरणा स्रोत एवं नेतृत्वकर्ता थे । आपने कृषि को उद्योग के समकक्ष विकसित करने की दिशा में अभूतपूर्व प्रयास किया । पृथक छत्तीसगढ़ राज्य के लिए, जन जागृत करने की दिशा में आप लगातार संलग्न रहे ।
साहित्य सृजन, लोकमंचीय प्रस्तुति तथा बोल-चाल में आप छत्तीसगढ़ी के पक्षधर थे । इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए आपने 1967 में रायपुर में छत्तीसगढ़ भ्रातृसंघ नामक संस्था का गठन किया । 22 फरवरी 1969 को आपका देहावसान हो गया । छत्तीसगढ़ शासन ने उनकी स्मृति में कृषि के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धि एवं अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए डॉ. खूबचंद बघेल सम्मान स्थापित किया है ।